प्री-एक्लेमप्सिया क्या है?

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Preeclampsia & eclampsia 

प्रीएक्लेमप्सिया क्या है

Preeclampsia & eclampsia

प्री-एक्लेम्पसिया एक उच्च रक्तचाप विकार है, जो गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद एक गर्भवती महिला को हो सकता है। इस स्थिति में महिला का रक्तचाप अचानक बढ़ने लगता है और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। रक्तचाप का यह विकार गंभीर माना जाता है, क्योंकि यह गर्भवती के लिवर और किडनी को प्रभावित कर सकता है

कुछ दुर्लभ मामलों में यह प्रसव के बाद हो सकता है। तब इसे प्रसवोत्तर प्री-एक्लेम्पसिया (postpartum preeclampsia) कहा जाता है

इसे दो भागों में बांटा जाता है

(1) माइल्ड प्रीएक्लेमप्सिया: अगर आपका सिस्टोलिक रक्तचाप

140 या उससे अधिक और डायस्टोलिक रक्तचाप 90 या उससे अधिक पाया गया है, तो यह माना जाएगा कि आपको माइल्ड यानी हल्का प्री-एक्लेम्पसिया है।

(2) गंभीर प्रीएक्लेमप्सिया: वहीं, अगर आपका सिस्टोलिक

रक्तचाप 160 या उससे अधिक और डायस्टोलिक रक्तचाप 110 या उससे अधिक पाया गया है, तो यह माना जाएगा कि आपको गंभीर प्री-एक्लेम्पसिया है।

प्रीएक्लेम्पसिया के क्या कारण है?

  • आनुवंशिक
  • पिछली गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप या प्री-एक्लेम्पसिया
  • किडनी खराब होना
  • मधुमेह
  • मोटापा
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
  • माइग्रेन
  • रुमेटाइट अर्थराइटिस
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (हार्मोन विकार)
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस (नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्या)

 

प्रीएक्लेम्पसिया के क्या लक्षण है?

प्री-एक्लेम्पसिया के कुछ लक्षण गर्भावस्था के आम लक्षण जैसे ही हैं, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं, जिनसे आप प्री-एक्लेम्पसिया को पहचान सकते हैं।

  • अचानक वजन का बढ़ना
  • हाथों-पैरों और आंखों के आस-पास सूजन
  • लगातार सिरदर्द
  • ज्यादा उल्टी होना और जी मिचलाना (मॉर्निंग सिकनेस से अलग)
  • पेट दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • धुंधला दिखना

प्रीएक्लेम्पसिया का निदान क्या है?

अक्सर प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण गर्भावस्था के सामान्य लक्षणों से अलग हो सकते हैं। इसलिए, इस समस्या का निदान करना महत्वपूर्ण है। नीचे बताए गए तरीकों से प्री-एक्लेम्पसिया का निदान किया जा सकता है।

  • रक्तचाप की जांच:निदान के पहले चरण में डॉक्टर रक्तचाप की जांच करेगा। अगर जांच में गर्भवती का रक्तचाप 140/90 या उससे ज्यादा रहा हो, तो माना जाएगा कि गर्भवती को प्री-एक्लेम्पसिया की समस्या है।
  • यूरिन टेस्ट:रक्तचाप 140/90 होने का मतलब सिर्फ हाइपरटेंशन भी हो सकता है। इसलिए, निदान के दूसरे चरण में गर्भवती का यूरिन टेस्ट होगा। अगर गर्भवती के यूरिन में प्रोटीन की अधिक मात्रा (0.3g/24 घंटे या उससे अधिक) पाई गई तो माना जाएगा कि गर्भवती को प्री-एक्लेम्पसिया है।
  • ब्लड टेस्ट:ब्लड टेस्ट की मदद से डॉक्टर गर्भवती के रेड ब्लड सेल्स, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स चेक करेंगे। इस दौरान गर्भवती का प्लेटलेट्स काउंट अचानक कम होने लगता है। अगर आपका प्लेटलेट्स काउंट कम आया, तो माना जाएगा कि गर्भवती को प्री-एक्लेम्पसिया है।

प्री-एक्लेम्पसिया भ्रूण के विकास पर भी असर डाल सकता है। इस वजह से भ्रूण का विकास जानने के लिए भी जांच करना जरूरी हो जाता है, जो कुछ इस प्रकार की जा सकती हैं:

  • प्री-एक्लेम्पसिया भ्रूण के विकास पर भी असर डाल सकता है। इस वजह से भ्रूण का विकास जानने के लिए भी जांच करना जरूरी हो जाता है, जो कुछ इस प्रकार की जा सकती हैं:
  • बायोफिजिकल प्रोफाइल:इस जांच के जरिए भ्रूण की धड़कन, सांस और उसकी गतिविधियों के बारे में पता लगाया जाता है।

प्री-एक्लेम्पसिया के लिए कौन से डॉक्टर को दिखाए?

  • General Physicians

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What is pre-eclampsia? What is the cause of pre-eclampsia? What is the diagnosis of pre-eclampsia? What are the symptoms of pre-eclampsia? Which doctor to see for pre-eclampsia?

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