पहले तिमाही में गर्भपात होने से कैसे बचाये?

28 Likes Comment Views : 1310

Abortion & Mis-carriage in 1st trimester 

पहले तिमाही में गर्भपात होने से कैसे बचाये?

1st

  • मिस्कैरेज होना गर्भपात होना ये उन् माँ के लिए उन कपल के लिए , उन परिवार के लिए बहुत ही दुखद घटना होती है, सबके मन में वही सवाल रहता है, की क्या गलत हुआ मैंने खाना तो अच्छा खाया है, मैंने सारी जांचे की है, में सारी बुरी आदतों से दूर रही हूँ,
  • चाय या कॉफ़ी तक नहीं पी, सीढिया नहीं चढ़ी,
  • फिर भी मैंने मेरे बच्चे को क्यों खो दिया, ऐसे बहुत से सवाल मन में रहते है,

 

हम इस वीडियो में देखने वाले है, की मिसकैरेज , abortion क्या होता है, ये क्यों होता है? और इससे बचने के लिए हमे अगली प्रेगनेंसी में क्या करना चाहिए?

  • पहले पांच महीनो में शिशु का माँ के बच्चादानी में खराब हो जाना उसको हम मिसकैरेज या गर्भपात बोलते है,

 

पहले तिमाही में गर्भपात के लक्षण क्या होते है?

  • जब गर्भपात होता है, मिसकैरेज होता है, तभी ब्लीडिंग होना शुरू हो जाता है, वैजाइना से योनिमार्ग से कभी हल्का ब्लीडिंग होना शुरू हो जाता है, कभी हैवी ब्लीडिंग होना शुरू हो जाता है,
  • कभी कभी ये ब्लीडिंग पैन के साथ होता है, कमर में दर्द होता है, पेट में दर्द होता है, और ये दर्द की इंटेंसिटी बढ़ती जाती है, कभी कभी एक बड़ा सा क्लॉट बहार आ जाता है।
  • लेकिन कभी ऐसा भी हो जाता है, की बिलकुल तकलीफ नहीं रहती है, लेकिन जब हम sonography के लिए जाते है तब पता चलता है, की आपके शिशु की दिल की धड़कन रुक गयी है। बेबी अंदर स्टॉप हो गया है, इसको भी हम मिसकैरेज या एबॉर्शन बोलते है।
  • पहले तिमाही में जो एबॉर्शन होते है, उसके रीजनल डिफरेंट रहते है, और दूसरे तिमाही में जो एबॉर्शन रहते है उसके भी रीजनल डिफरेंट रहते है,
  • पहले तिमाही में जो एबॉर्शन होते है, उसको हम early abortion बोलते है,
  • दूसरी तिमाही में जो एबॉर्शन होते है, उसको हम late termination बोलते है, कभी कभी ये एबॉर्शन बार बार भी होते है, और उस एबॉर्शन की वजह और उसके reason भी काफी अलग होते है,

 

पहले तिमाही में एबॉर्शन क्यों होता है?

  • ये पहले तिमाही में होने वाला एबॉर्शन का बहुत ही महतत्वपूर्ण कारण रहता है, genetic defect in the बेबी, ये genetic defect ये गुडासोत्र में दोष होते कैसे है?
  • माँ को भी कोई जेनेटिक डिजीज नहीं है, पिता को भी कोई जेनेटिक डिजीज नहीं है, तो फिर बेबी को ये भ्रूण को genetic disease कैसे होता है, तो इसके लिए हम जानेंगे बेबी कैसे बनता है?
  • बेबी माँ के एग से और पिता के शुक्राणु से बनता है, जब ये स्पेर्म्स और egg तईयार होते है,
  • ये क्रोमोजोम के डिवीज़न से होते है, गुड़सूत्रों के विभाजन से होते है, हमारे शरीर के प्रत्येक पेशे में 46 क्रोमोजोम एंड X एंड Y ये सेक्स क्रोमोजोम रहते है, लेकिन जब अंडे और sperm  बनते है,तो ये 23  की मात्रा में रहते है,
  • कभी कभी ये डिवीज़न प्रोसेस में गड़बड़ी हो जाती है, और ये डिवीज़न प्रोसेस में कभी कभी २२ ही क्रोमोजोम आते है, कभी 24 क्रोमोजोम आते है, और फिर बच्चे में बच्चे के जीन्स में डिफेक्ट होने के चान्सेस होते है,
  • हर एक स्पर्म हर एक अंडा ये परिपूर्ण नहीं रहता, जब ये डिफेक्टेड एग या डिफेक्टेड sperm इससे बेबी बनता है, तो उस बेबी में बड़े होने की क्षमता नहीं रहती,
  • genetacly बहुत ही abnoraml जो बेबी रहता है, उनकी ग्रोथ अपने आप ही तिमाही में रुक जाती है, कभी दिल की धड़कन शुरू ही नहीं होती, कभी शुरू हो जाती है, वो बंद हो जाती है, और पहले 12 सप्ताह में ये प्रेगनेंसी खराब हो जाती है,
  • एक कारण माँ के गर्भ से भी जुड़ा होता है, जब माँ छोटी होती है, less than 30 years  की होती है, तो उसके एबॉर्शन के रिस्क कम होते है, almost  10 % ही होती है,
  • जब माँ की उम्र ज्यादा होती है, तो एबॉर्शन के रिस्क भी बढ़ जाते है, तो 35 उम्र के बाद egg की quality खराब होना शुरू हो जाती है, और उन माताओ में एबॉर्शन के रिस्क 30 से 40 % बढ़ जाते है,
  • दूसरा महतत्वपूर्ण कारण ये early abortion के लिए होता है, ये हार्मोनल प्रॉब्लम या माँ के आंतस्त्राव में कुछ डिस्टर्बैंसेस हो जाते है, जैसे की प्रोजेस्टेरोन नाम का एक हॉर्मोन रहता है, जब egg रिलीज़ हो जाता है, तो जो बचा हुआ egg का आवरण जो रहता है, वह से प्रोजेस्टेरोन नाम का हॉर्मोन जो निकलता है, और वो प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन सही मात्रा में होना चाहिए, तो वो बेबी को बेबी के ग्रोथ के लिए इम्प्लांटेशन के लिए support करता है,
  • लेकिन ये प्रोजेस्टेरोन की मात्रा कभी कभी बहुत ही कम रहती है, उसको luteal phase defect (LPD ) के नाम से जाना जाता है, जब ये luteal phase defect रहते है, तो प्रोजेस्टेरोन जो हॉर्मोन बेबी को support करता है, उसकी मात्रा बहुत ही कम हो जाती है, और फिर abortion हो जाते है,
  • दूसरा इम्पोर्टेन्ट हॉर्मोन रहता है, thyroid कभी thyroid की मात्रा ज्यादा होती है, कभी thyroid की मात्रा बहुत ही कम होती है, जब thyroid में ऐसे disturbance होते है, तो भी पहले तिमाही में एबॉर्शन होने के चान्सेस रहते है,
  • दूसरा महतत्वपूर्ण रीज़न रहता है, diabetes जब पहले तिमाही में शुगर की मात्रा बहुत ही ज्यादा डिस्टर्ब रहती है, तब एक तो एबॉर्शन हो जाता है, नहीं तो बेबी में पैदाइसी डिफेक्ट हो जाता है,
  • एक महतत्वपूर्ण कारण रहता है, PCOD उसमें भी होर्मोनेस में बदलाव होते है, और वो एक quality पर इफ़ेक्ट करता है, और ये भी एक इम्पोर्टेन्ट कारण रहता है, की पहले तिमाही में एबॉर्शन हो जाता है, तो होर्मोनेस में बदलाव में थाइरोइड में गड़बड़ी, शुगर में गड़बड़ी, PCOD जैसे प्रॉब्लम और प्रोजेस्टेरोन की मात्रा कम हो जा तो इस वजह से abortion  हो जाती है, और 10 to 15 % एबॉर्शन पहले तिमाही में होने के कारण हो जाता है,
  • तीसरा महतत्वपूर्ण कारण early एबॉर्शन के लिए रहता है, immunologic problem ये immunologic एबॉर्शन में sperm के against एंटीबाडीज शरीर में तईयार होते है, स्पर्म से बना भ्रूण माँ की बॉडी एक फोर्रेन मटेरियल समझकर बहार फेक देती है, वो ग्राफ्ट को रिजेक्ट कर देती है, और ये भी एक इम्पोर्टेन्ट रीज़न होता है, एबॉर्शन के लिए,
  • दूसरा महतत्वपूर्ण कारण ये immonological एबॉर्शन में रहता है, वो एंटीफोस्फिलिट सिंड्रोम ये एंटीफोस्फिलिट सिंड्रोम माँ के बॉडी में antiphospholipid antibodies तईयार होते है,
  • ये antiphospholipid antibodies ब्लड में जल्दी क्लॉटिंग कर देते है, जब बेबी भ्रूण माँ से attach होना शुरू हो जाता है, इम्प्लांटेशन होना शुरू हो जाता है, तब माँ में बेबी में प्लासेंटा नाम का एक यूनिट रहता है, वार जो रहती है, इसमें से ब्लड कनेक्शन डेवेलोप हो जाता है,
  • लेकिन ये antiphospholipid syndrome में जो ये प्लेसेंटल वेसल्स छोटे छोटे ब्लड वेसल्स रहते है, जिसे बेबी को खून मिलता है, वो सरे क्लोग हो जाते है, और उसमें का ब्लड गाढ़ा हो जाता है, और बेबी के तरफ जाने वाला ब्लड फ्लो रुक जाता है, और बेबीज के हार्ट बीट बंद हो जाते है, और हम इस सिचुएशन में अपने बच्चे को खो देते है,
  • चौथा महतत्वपूर्ण कारण abortions के लिए रहता है, इन्फेक्शन ये इन्फेक्शन 5 % एबॉर्शन को कारणीभूत रहता है, ये इन्फेक्शन कभी वायरल होता है, कभी बैक्टीरियल होता है, कभी परसायटिक होता है, पहले तिमाही के एबॉर्शन में बहुत बार टोर्च जिम्मेदार है, ऐसे कहा जाता है, ये सरासर मिथ है, टोर्च के इन्फेक्शन की वजह से एबॉर्शन से ज्यादा बेबी में डिफेक्ट आने की संभावना ज्यादा होती है,
  • लेकिन माँ के शरीर में पहले से ही ये टोर्च के लिए एंटीबाडीज तईयार रहती है, तो ये टोर्च का इन्फेक्शन कभी भी बेबी को ख़राब नहीं कर सकता, इसलिए टोर्च ये सरासर मिथ मन जाता है, लेकिन 30 to 40 प्रतिशत पहले तिमाही के एबॉर्शन के लिए रीज़न ही समझ में नहीं आता है, तो उसको हम unexplain रीज़न बोलते है,
  • उसका एक इम्पोर्टेन्ट रीज़न environmental factor भी रहता है, जैसे की किसी दवाईयों का एक्सपोज़र, कभी टॉक्सिक गैसेस का एक्सपोज़र, कभी सिगरेट स्मोकिंग की वजह से होता है, कभी शराब से होता है, कभी तंबाकू की वजह से भी होता है, तो ये बहुत सारे factors रहते है और ये हमे समझ में नहीं आते, उसको हम unexplained factors बोलते है, जो रेस्पोंसिबल रहते है, पहले तिमाही के abortions के लिए,

 

पहले तीन महीने के एबॉर्शन से बचने के लिए हमे क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

  • जो genetic reason होते है, उनमें तो कोई खाद ट्रीटमेंट नहीं रहती, हर बार का अंडा और स्पर्म खराब तो नहीं हो सकता, लेकिन ये अंडे की क्वालिटी और स्पर्म की क्वालिटी अच्छी रखने के लिए हेअल्थी लाइफ स्टाइल अपनाएंगे,
  • हमारे खानपान पर ध्यान रखेंगे, बैलेंस डाइट लेंगे,
  • रेगुलर एक्सरसाइज करते रहेंगे
  • जो दूसरा इम्पोर्टेन्ट रीज़न रहता है, हार्मोनल कारण तो ये एबॉर्शन प्रोजेस्टेरोन के डेफिशियेंसी से हुआ रहेगा तो अगली प्रेगनेंसी में हम शुरू से ही प्रोजेस्टेरोन की दवाई शुरू कर देते है, कभी thyroid से हो जाता है, तो थाइरोइड की मात्रा करेक्ट करने के लिए थाइरोइड की दवाई शुरू करते है, और सही लेवल पर ये मात्रा रख कर उसके बाद ही कंसीव करने की सलाह देते है,
  • कभी डायबिटीज से भी हो सकता है, तो शुगर लेवल कण्ट्रोल करने के बाद ही हम अगली प्रेगनेंसी का चांस लेने के लिए बोलेंगे,
  • ये PCOD की वजह से एबॉर्शन हुआ रहेगा तो हम अगली प्रेगनेंसी में शुरू से ही एग इंसुलेशन सेंसिडायर शुरू करते है, यानी की मिडफोर्मिंग जैसी दवाई रहती है, शुरू से देने से एबॉर्शन के रिस्क PCOD में कम हो जाते है,
  • प्रेगनेंसी में अपना ब्लड पतला रखने के लिए हिपेरिन के इंजेक्शन शुरू कर देते है,
  • पहले तिमाही के एबॉर्शन के रिस्क को कम करने के लिए हम हमारी लाइफस्टाइल improve करते है, हम बुरी आदत से दूर जाते है, जैसे की अल्कोहल रहेगा , सिगरेट , स्मोकिंग रहेगा, तंबाकू रहेगा, हम कैफीन का सेवन बहुत ही कम कर देते है, और एक महतत्वपूर्ण कारण जो स्ट्रेस रहता है, तो हमे हमारी स्ट्रेस की मात्रा कम करनी चाहिए,
  • इस वीडियो में हमने जान लिया की पहले तिमाही के एबॉर्शन क्या होता है, उसके कारण क्या रहते है, और अगले टाइम इससे बचने के लिए हमे कौन-सी सावधानी बरतनी चाहिए?

 

पहले तिमाही में गर्भपात के लिए कौन से डॉक्टर को दिखाए?

  • Gynecologists

 

RELATED VIDEO : 

  1. abdomen ultrasound : https://youtu.be/QUa03xX6tp4
  2. Female Reproductive Tract Ultrasound : https://youtu.be/IDZeQ0krZ_E
  3. mammography : https://youtu.be/RIRW1XPvu0A

RELATED ARTICLE : 

  1. Right way to confirm pregnancy : https://www.healthsrainbow.com/blog/2022/05/26/
  2. Abortion & Mis-carriage in 1st trimester : https://www.healthsrainbow.com/blog/2022/05/26/
  3. sonography : https://www.healthsrainbow.com/blog/2022/06/03/

 

VISIT OUR WEBSITE 

  1. https://www.healthsrainbow.com/
  2. https://www.healthyvedics.com/

 This video Covers the information about:

How to prevent miscarriage in first trimester? We are going to see, what are its symptoms? Which doctor to see for abortion in first trimester?

PUBLISHED BY HEALTHS RAINBOW

 

 

You might like

About the Author: healthsrainbow

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »