Living with Achalasia: A Comprehensive Guide

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एकैल्शिया एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो आमतौर पर ग्रासनली को प्रभावित करती है। ग्रासनली एक ट्यूब है जो गले से पेट तक भोजन पहुंचाने का कार्य करती है। लोअर एसोफेजियल स्पिंक्टर एक मस्कुलर रिंग होता है पेट से ग्रासनली को बंद कर देता है। एकैल्शिया होने पर लोअर एसोफेजियल स्पिंक्टर भोजन चबाते समय नहीं खुलता है जिसके कारण भोजन ग्रासनली में ही रह जाता है। यह स्थिति ग्रासनली के तंत्रिकाओं को भी डैमेज करती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भोजन निगलने में परेशानी होती है और ग्रासनली में बेचैनी का अनुभव होता है।

एकैल्शिया के क्या लक्षण है?

एकैल्शिया शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। इस बीमारी के लक्षण महीनों या वर्षों तक रहते हैं। एकैल्शिया से पीड़ित व्यक्ति को प्रायः भोजन निगलने में कठिनाई होती है या भोजन ग्रासनली में फंसा हुआ महसूस होता है। यह बीमारी 25 से 60 साल के लोगों को प्रभावित करती है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :

  • छाती में दर्द और बेचैनी
  • वजन कम होना
  • छाती में जलन
  • खाने के बाद दर्द और घबराहट
  • तरल या ठोस भोजन निगलने में परेशानी

एकैल्शिया होने के कारण क्या है?

  • एकैल्शियाअलग-अलग कारणों से होता है। इस बीमारी का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। यह समस्या आनुवांशिक या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण हो सकती है।
  • ऐसी स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती है। ग्रासनली में तंत्रिकाओं के क्षय के कारण एकैल्शिया के लक्षण नजर आने लगते हैं।
  • अन्य बीमारियों के लक्षण भी एकैल्शिया के जैसे ही नजर आते हैं। ग्रासनली में कैंसर इस बीमारी का एक अन्य कारण हो सकता है। साथ ही परजीवी इंफेक्शन के कारण भी यह बीमारी होती है।
  • इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में ग्रासनली की मांसपेशियां सामान्य रुप से नहीं सिकुड़ पाती हैं।

एकैल्शिया के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

  • एकैल्शिया एक दुर्लभ बीमारी है जो धीरे-धीरे विकसित होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को ठोस आहार और तरल पदार्थ निगलने में काफी कठिनाई होती है।
  • एडवांस कंडीशन में एकैल्शिया के कारण वजन घटना और कुपोषण जैसी समस्या हो सकती है।
  • सिर्फ यही नहीं एकैल्शिया के कारण ग्रासनली में कैंसर का भी जोखिम हो सकता है।
  • इसके अलावा व्यक्ति को अपने ग्रासनली में हमेशा कुछ अटका हुआ सा महसूस होता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एकैल्शिया का निदान कैसे किया जाता है?

एकैल्शिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :

  • एसोफेगल मैनोमेट्री- इस टेस्ट में भोजन निगलते समय ग्रासनली में मांसपेशियों के संकुचन की जांच की जाती है और यह पता किया जाता है कि लोअर एसोफेगल स्पिंक्टर भोजन निगलते समय कितना खुलता या बंद होता है।
  • एक्सरे– मरीज के पाचन तंत्र की अंदरुनी परत को एक विशेष तरल पदार्थ से भरा जाता है और पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से की जांच की जाती है। इसके बाद डॉक्टर ग्रासनली, पेट और आंत के ऊपरी हिस्से की जांचकरते हैं। मरीज को बेरियम की गोली निगलने के लिए कहा जाता है जो ग्रासनली में रुकावट की जांच करने में मदद करता है।
  • एंडोस्कोपी- डॉक्टर गले के अंदर लाइट और कैमरा से युक्त एक लचीला ट्यूब डालकर ग्रासनली और पेट का परीक्षण करते हैं। इस टेस्ट से ग्रासनली में रुकावट की जांच की जाती है। इसके अलावा टिश्यू का सैंपल लेकर एसिड रिफ्लक्स की भी जांच की जाती है।

 

एकैल्शिया का इलाज कैसे होता है?

एकैल्शिया का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में एकैल्शिया के असर को कम किया जाता है। एकैल्शिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :

  • ग्रासनली की मांसपेशियों को रिलैक्स करने के लिए मरीज को भोजन से पहले नाइट्रोग्लिसरिन या निफेडिपिन दिया जाता जाता है।
  • एकैल्शिया से पीड़ित मरीज के एसेफेजियल स्फिंक्टर में एंडोस्कोप की मदद से सीथे बोटॉक्स इंजेक्ट किया जाता है। कुछ मरीजों को बार-बार बोटॉक्स का इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ती है।
  • पीड़ित मरीज के एसोफेजियल स्फिंक्ट र में एक गुब्बारा डालकर इसे बढ़ाने की कोशिश की जाती है। एसोफेजियल स्फिंक्टर नहीं खुलने पर यह प्रक्रिया बार-बार दोहरायी जाती है।
  • एकैल्शिया को ठीक करने के लिए डॉक्टर एसोफेजियल स्फिंक्टर के निचले सिरे को काट देते हैं जिससे भोजन आसानी से पेट तक पहुंच जाता है। इस प्रक्रिया को हेलर ममायोटॉमी कहा जाता है।
  • सर्जन मांसपेशियों को कसने और एसिड रिफ्लक्स को रोकने के लिए निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर के चारों ओर पेट के ऊपर फंडोप्लिकेशन लपेटते हैं। भविष्य में एसिड रिफ्लक्स से बचने के लिए फंडोप्लीकेशन का का विकल्प चुना जाता है।
  • एकैल्शिया के असर को कम करने के लिए आइसोसोरबाइड, डाइनाइट्रेट, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, वेरापामिल दी जाती हैं। ये दवाएं लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं।

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