Glomerulonephritis
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस क्या है?
किडनी के अंदर रक्त वाहिकाओं का एक समूह होता है जिसे ग्लोमेरूली कहते हैं और यही शरीर से अतिरिक्त तरल, इलेक्ट्रोलेट्स और अपशिष्ट पदार्थों को रक्तवाहिका से निकालकर यूरीन तक पहुंचाता है। जब कभी ग्लोमेरूली में किसी कारण से सूजन आ जाती है तो इसे ही ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस कहा जाता है। यह अपने आप हो सकता है या किसी बीमारी के परिणामस्वरूप भी हो सकता है जैसे ल्यूपस या डायबिटीज। ग्लोमेरूली में सूजन यदि लंबे समय तक रहता है तो इससे किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है। कई मामलों में किडनी फेलियर भी हो जाता है। ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस को कभी-कभी नेफ्राइटिस भी कहा जाता है और यदि इसका समय पर उपचार न कराया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के लक्षण क्या है?
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस दो प्रकार के होते हैं एक्यूट और क्रॉनिक और इसके आधार पर ही इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के लक्षणों में शामिल हैः
- पेशाब का रंग भूरा या उसे हल्का खून आना
- हाई ब्लड प्रेशर
- सुबह उठने पर चेहरे पर सूजन
- कम पेशाब आना
- फेफड़ों में भरे तरल पदार्थ के कारण खांसी और सांस लेने में दिक्कत
क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस अचानक नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे लंबी अवधि में होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैः
- वॉटर रिटेंशन के कारण टखने (ankle) और चेहरे पर सूजन
- हाई ब्लड प्रेशर
- पेशाब में ब्लड या प्रोटीन
- पेशाब में बबल या झाग बनना, यह अतिरिक्त प्रोटीन के कारण होता है
- रात में बार-बार पेशाब जाना
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारण क्या है?
एक्यूट और क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारण अलग-अलग हो सकते है।
एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस किसी तरह के संक्रमण जैसे स्ट्रेप थ्रोट या एब्सेस्ड टूथ के कारण हो सकता है। ऐसा संक्रमण को लेकर आपके इम्यून सिस्टम के ओवररिएक्ट करने के कारण भी हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या बिना किसी इलाज के ठीक हो जाती है, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो आपको उपचार की जरूरत है, ताकि किडनी को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारणों में शामिल हैः
- गुडपावर सिंड्रोम, एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें एंटीबॉडी आपकी किडनी और फेफड़ों पर हमला करते हैं
- स्ट्रेप थ्रोट
- ल्यूपस
- अमाइलॉइडोसिस, तब होता है जब आपके शरीर में आपके अंगों और टिशू को नुकसान पहुंचाने वाले असामान्य प्रोटीन बनने लगते हैं
- पॉलीआर्थराइटिस नोडोसा, एक ऐसी बीमारी जिसमें कोशिकाएं आर्टरीज पर हमला करती हैं
- आइबुप्रोफेन (एडविल) और नेप्रोक्सन (एलेव) जैसी नॉनस्टेरॉयडल एंटी इंफ्लामेट्री दवाओं के अधिक इस्तेमाल से भी जोखिम बढ़ जाता है
- ग्रैनुलोमैटोसिस के साथ पोलियांगाइटिस एक दुर्लभ बीमारी जिसकी वजह से रक्त वाहिकाओं में सूजन आती है।
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का निदान क्या है?
- ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के निदान के लिए सबसे पहले यूरिनैलिसिस टेस्ट किया जाता है। आपके यूरिन में मौजूद प्रोटीन और रक्त से बीमारी का पता लगाया जाता है। इसके अलावा ब्लड में एंटीजेन्स और एंटीबॉडी का भी पता लगाया जाता है। कई बार अन्य बीमारी के लिए कराए जाने वाले रूटीन फिजिकल एग्जाम में भी ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का पता चल जाता है।
- किडनी बायोप्सी भी की जाती है जिसमें एक छोटी सुई के जरिए किडनी टिशू का सैंपल निकाला जाता है और लैब में टेस्ट के लिए दिया जाता है। इससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।
- ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का पता लगाने के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है जिसमें ब्लड और यूरिन सैंपल का टेस्ट शामिल है।
आपका डॉक्टर निम्न की जांच के लिए इम्यूनोलॉजी टेस्ट भी कर सकता हैः
- एंटीग्लोमेरुलर बेसमेंट मेंमब्रेन एंटीबॉडी
- एंटीन्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी
- एंटीबायोटिक एंटीबॉडी
- कॉम्प्लिमेंट लेवल्स
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के निदान के बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर कुछ इमेजिंग टेस्ट भी कर सकता है जिसमें शामिल हैः
- सीटी स्कैन
- छाती का एक्स-रे
- किडनी अल्ट्रासाउंड
- इंट्रावेनस पाइलोग्राम
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस से बचाव कैसे करे?
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के अधिकांश मामलों में बचाव संभव नहीं होता। हालांकि कुछ कदम इसे कुछ हद तक रोकने में फायदेमंद साबित हो सकते हैः
- हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें, जो हाइपरटेंशन के कारण किडनी के नुकसान की संभावना को कम करता है।
- गले में किसी तरह का संक्रमण या दर्द होने पर उचित उपचार करवाएं।
- ऐसे संक्रमण जो ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का कारण बन सकते हैं जैसे एचआईवी और हेपेटाइटिस से बचने की कोशिश करें। सेफ सेक्स की गाइडलाइन फॉलो करें और इंट्रालेनस दवा से परहेज करें।
- डायबटिक नेफ्रोपैथी से बचाव के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करें।
- किडनी की बीमारी, जैसे ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस होने पर कुछ दवाओं (जैसे आइबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन या एंटी इन्फ्लामेट्री दवाओं) से परहेज करके स्थिति को अचानक बिगड़ने से बचाया जा सकता है। किडनी की बीमारी से होने वाली जटिलताओं जैसे एनीमिया और हड्डियों की समस्या को सही निगरानी और समय पर इलाच करके कम किया जा सकता है।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस से उबरने और भविष्य में इससे बचने के लिए कुछ छोटी लेकिन अहम बातों का ध्यान रखेः
- वजन कंट्रोल में रखें।
- खाने में नमक की मात्रा कम करें।
- प्रोटीन भी कम मात्रा में खाएं।
- डायट में पोटैशियम भी कम करें।
- स्मोकिंग से परहेज करें।
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