Is it safe to eat Papaya during pregnancy
क्या गर्भावस्था में पपीता खाना हानिकारक होता है?
- गर्भावस्था के दौरान पपीता खाना सुरक्षित है, बशर्ते पपीता पूरी तरह से पका हुआ हो।
- लेकिन गर्भावस्था के दौरान कच्चे पपीते का सेवन कई जटिलताओं का कारण भी बन सकता है।
प्रारंभिक गर्भावस्था
- गर्भावस्था के शुरुआती महीनों या पड़ावों में, भ्रूण बहुत नाजुक होता है और इसका अत्यधिक ध्यान रखने की आवश्यकता है।
- यहाँ तक कि हानिकारक पदार्थ, जैसे लेटेक्स की थोड़ी सी भी मात्रा,बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा सकती है।
- कच्चे पपीते में लेटेक्स के साथ कुछ अन्य पदार्थ भी होते हैं, जो गर्भाशय के संकुचन का कारण बनते हैं।
- पपीते के लेटेक्स में वनस्पति पेप्सिन या ‘पैपेन’ होता है। यह ‘पैपेन’ प्रोस्टाग्लैंडिंस(अंतर्जात या शरीर का अपना पदार्थ) और ऑक्सीटोसिन (मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित एक हॉर्मोन) की तरह कार्य करता है जिससे संकुचन उत्पन्न हो सकता है।
- गर्भावस्था में असामान्य या ऐसे अस्वाभाविक गर्भाशय संकुचन, गर्भपात या बच्चे के समय से पहले जन्म का कारण हो सकता है।
- पैपेन, भ्रूण की महत्वपूर्ण झिल्ली को भी कमजोर कर देता है जिस वजह से उसका जीवित रहना मुश्किल हो जाता है इसलिए पहली तिमाही के दौरान कच्चे पपीते का सेवन बिलकुल भी न करें।
तीसरी तिमाही
- गर्भावस्था की तीसरी तिमाही या आखिरी तीन महीनों के दौरान पपीते में मौजूद एंजाइम ‘पैपेन’ के कारण गर्भाशय में संकुचन उत्पन्न होता है जो प्रसव पीड़ा को समय से पूर्व प्रेरित कर सकता है।
- इन समस्याओं के कारण ज्यादातर महिलाएं अपने आहार में पपीते का सेवन करने से बचना चाहती हैं।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता खाने से गर्भनाल के किनारे से खून बहना या रक्तस्राव भी हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान (पका हुआ) पपीता खाने के फायदे क्या है?
गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह से पके हुए पपीते को आमतौर पर सुरक्षित और फायदेमंद माना जाता है, इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं:
- लेटेक्स, पपीते में मौजूद एक घटक है जो प्रोस्टैग्लैंडिन और ऑक्सीटोसिन की तरह कार्य करता है और यह श्वसन संबंधी विकारों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- पके हुए पपीते में विटामिन ए, बी, सी, पोटेशियम और बीटा–कैरोटीन अत्यधिक होता है, जिनमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं।
- पपीते में मौजूद विटामिन की आपूर्ति प्रतिरक्षा में सुधार करती है, जो विभिन्न संक्रमणों से बचाती है।
- पर्याप्त मात्रा में विटामिन, अल्सर और त्वचा की समस्याओं को भी रोकता है।
- पपीते में मौजूद फाइबर पाचन को आसान बनाते हैं: गर्भावस्था के दौरान कब्ज़ की एक आम समस्या को स्वाभाविक रूप से पपीते द्वारा हल किया जा सकता है। हालांकि, नियमित आहार के बारे में अपने प्रसूति विशेषज्ञ से परामर्श लें।
- पपीता, मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में मदद कर सकता है।
- पपीते में फॉलिक एसिड भी होता है, जो गर्भावस्था के दौरान शिशु के स्नायुविक(तंत्रिका संबंधी) विकास के लिए आवश्यक होता है।
- पपीता, हृदय के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है और माना जाता है कि यह मलाशय के कैंसर(कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर) को भी रोकता है।
- गर्भावस्था के दौरान वायरल बीमारियों में पपीते के सेवन से प्लेटलेट की वृद्धि में मदद मिल सकती है
- गर्भावस्था के दौरान पके हुए पपीते का सही मात्रा में सेवन करने से दूध उत्पादन की वृद्धि में मदद मिलती है।
गर्भावस्था के दौरान पपीता खाने के प्रभाव क्या है?
- गर्भाशय में संकुचन होना
- भ्रूण विकास पर प्रभाव
- भ्रूण की महत्वपूर्ण झिल्ली को कमजोर करता है
- नकसीर और शोफ (सूजन) का कारण हो सकता है
- अधिक मल त्याग के कारण गर्भपात हो सकता है
- तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव
- गर्भपात और टेराटोजेनिक
- पहले हुआ गर्भपात/समय से पहले प्रसव और पैपेन का प्रभाव
- एस्ट्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देता है
- गुर्दे की पथरी का कारण होता है और पेट के दबाव को बढ़ाता है
- रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है
- त्वचा का रंग हल्का होना
गर्भावस्था के दौरान कच्चे पपीते के सेवन से जोखिम क्या है?
- एक पपीते में लेटेक्स होने के कारण लेटेक्स एलर्जी हो सकती है और इसकी प्रतिक्रिया घातक होती है।
- वह महिलाएं जिन्हें गर्भधारण करने में कठिनाई हुई हो या पहले गर्भपात हो चुका हो उन्हें पपीते से बचना चाहिए। अध्ययनों से पता चलता है कि कच्चा पपीता भ्रूण के विकास को भी प्रभावित करता है।
- कच्चे पपीते से गर्भपात होता है। इसमें कई तरह के हानिकारक किण्वक(एंजाइम) होते हैं, जिससे गर्भपात और रक्तस्राव हो सकता है।
- आपको पपीते के बीज और पत्तियों को निगलने से बचना चाहिए क्योंकि यह भ्रूण को नुकसान पहुँचा सकते हैं। पपीता खरीदते समय थोड़ा हरा पपीता खरीदें, यह समय रहते घर पर ही पक सकता है। काले धब्बे या दाग के निशान वाले पपीते से बचना चाहिए।
- अच्छी तरह से पका हुआ पपीता एक बेहतरीन विकल्प है, जिसका छिलका नारंगी रंग का होता है और छूने पर नर्म होता है।
- पपीता एक किफायती फल है, इसके पेड़ को सरलता से अपने परिसर में लगाया जा सकता है और आप एक जैविक पपीते का आनंद ले सकती हैं।
गर्भावस्था के लिए कौन से डॉक्टर को दिखाए?
- Gynecologists
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PUBLISHED BY HEALTHS RAINBOW